यह बात सौ फीसदी सही है कि इस बार के टी-20 विश्व कप मंे टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की सारी जिद बेकार चली गई। उनकी हर रणनीति विफल रही। हर वार चूक गया। उन पर से भरोसा भी कुछ हद तक उठ गया। लेकिन हमें खेल के बुनियादी वसूलों और धोनी की उपलब्धियों को एक सुर में खारिज नहीं करना चाहिए।
अपने देश में हिंदी सिनेमा और क्रिकेट का मैदान ऐसी दो जगहें जहां कामयाबियों और नाकामियों का बड़े पैमाने पर मोल-तोल होता है। यहां अगर कोई चमक गया तो मानो वह देवता है। पर अगर इसी देवता ने कोई गुस्ताखी कर दी तो चंद मिनट में ही वह हमारी मीडिया और इसके जरिए लोगों की नजरों में रावण व कंस की जमात में खड़ा हो जाता है। ऐसा लगता है कि हर कोई उसका वध करने पर आमादा हो। शायद यही वजह है कि लोग अपने इस दिल से उपजे आक्रोश को पुतलों को जलाकर और पोस्टरों में अपनी भड़ास निकालकर शांत करते हैं।
ऐसा ही कुछ यूथ आइकाॅन कहे जाने वाले धोनी के साथ भी हो रहा है। धुरंधर धोनी हर जगह निंदा के पात्र बने हुए हैं। वह खुद अपनी पुरानी कामयाबियों को गिन रहे होंगे और इस एक नाकामी से उनकी तुलना कर रहे होंगे। ऐसा करके वह जिस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे, वह वाकई उनके लिए तकलीफदेह होगा। और यह किसी भी इंसान के लिए हो सकता है।
यह वक्त आलोचना करने का जरूर है लेकिन बार-बार कोसने का नहीं है क्योंकि अभी बहुत क्रिकेट होनी है व धोनी को कई चुनौतियां झोलनी हैं। महज एक नाकामी के आधार पर हम धोनी की प्रतिभा और क्षमता को नकार नहीं सकते। हमें नहीं भूलना चाहिए इसी धोनी ने कामयाबियों की कई इबारतें गढ़ी हैं और संभव है कि अभी कई मंजिलें उनका इंतजार कर रही हों।
अपने देश में हिंदी सिनेमा और क्रिकेट का मैदान ऐसी दो जगहें जहां कामयाबियों और नाकामियों का बड़े पैमाने पर मोल-तोल होता है। यहां अगर कोई चमक गया तो मानो वह देवता है। पर अगर इसी देवता ने कोई गुस्ताखी कर दी तो चंद मिनट में ही वह हमारी मीडिया और इसके जरिए लोगों की नजरों में रावण व कंस की जमात में खड़ा हो जाता है। ऐसा लगता है कि हर कोई उसका वध करने पर आमादा हो। शायद यही वजह है कि लोग अपने इस दिल से उपजे आक्रोश को पुतलों को जलाकर और पोस्टरों में अपनी भड़ास निकालकर शांत करते हैं।
ऐसा ही कुछ यूथ आइकाॅन कहे जाने वाले धोनी के साथ भी हो रहा है। धुरंधर धोनी हर जगह निंदा के पात्र बने हुए हैं। वह खुद अपनी पुरानी कामयाबियों को गिन रहे होंगे और इस एक नाकामी से उनकी तुलना कर रहे होंगे। ऐसा करके वह जिस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे, वह वाकई उनके लिए तकलीफदेह होगा। और यह किसी भी इंसान के लिए हो सकता है।
यह वक्त आलोचना करने का जरूर है लेकिन बार-बार कोसने का नहीं है क्योंकि अभी बहुत क्रिकेट होनी है व धोनी को कई चुनौतियां झोलनी हैं। महज एक नाकामी के आधार पर हम धोनी की प्रतिभा और क्षमता को नकार नहीं सकते। हमें नहीं भूलना चाहिए इसी धोनी ने कामयाबियों की कई इबारतें गढ़ी हैं और संभव है कि अभी कई मंजिलें उनका इंतजार कर रही हों।
1 comment:
я считаю: мне понравилось.. а82ч
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