Monday, August 10, 2009

स्वाइन फ्लू और बचाव


एच1एन1 वायरस जो स्वाइन फ्लू-ए के नाम से जाना जा रहा है आम तौर पर सूअरों पर इसका असर देखा गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति को बुख़ार, आलस आना, कफ़ बनना, भूख न लगना, पीठ में दर्द, शरीर में दर्द और कमज़ोरी जैसी शिकायतें होती हैं।


इसके अलावा नाक बहना, गले में ख़राश तथा उल्टी−दस्त की शिकायत भी होती है।एच1एन1 वायरस के शिकार व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ़, सीने या पेट में दर्द और बेहोशी जैसी स्थिति होती है और मरीज़ खुद को असमंजस की स्थिति में पाता है। इसी तरह, पांच साल से कम बच्चों में दूसरे वायरल फ़ीवर की तरह ही देखना चाहिए कि कहीं बच्चे को अचानक तेज़ बुख़ार तो नहीं हुआ या गले में दर्द, सांस लेने में तकलीफ़, शरीर में नीलापन, अत्यधिक बेहोशी जैसी स्थिति और चिड़चिड़ापन तो नहीं है।


शरीर पर रैश दिखना भी स्वाइन फ्लू होने का लक्षण है।अब आपके लिए ये जानना भी ज़रूरी हो जाता है कि स्वाइन फ्लू से बचने के लिए किस तरह की एहतियात बरतने की ज़रूरत है। सबसे पहले तो इससे बचाव के लिए आपको एक खास तरह के मास्क की ज़रूरत होगी। ये एक आम मास्क से अलग है। इसका नाम है एन 95। ये मास्क हवा में फैले कीटाणुओं को फिल्टर कर सकता है।ये म़ॉस्क अस्पताल में जांच के लिए जाते समय या अस्पताल में वेटिंग रूम में पहनना बेहद ज़रूरी है।


इसका अलावा अगर आपने किसी ऐसे व्यक्ति को छुआ है जिसे कफ़ और जुकाम हो तो अपने हाथ ज़रूर धोएं। खाने के पहले और खाने के बाद हाथ धोएं…जिन को सर्दी या ज़ुकाम भी हुआ तो वे कोशिश करें कि सावर्जनिक जगहों पर न जाएं।कोई स्वाइन फ्लू का मरीज़ है तो उसे अलग कमरे में रखें।कई अस्पतालों में मरीज़ों की मदद के लिए लिए हरसंभव कदम उठाए गए हैं.


अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलें तो आप दिल्ली के 13 अस्पतालों में जा सकते हैं। कुछ अस्पतालों के नाम इस प्रकार हैं : एयरपोर्ट हेल्थ आफिस, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश, बाड़ा हिंदू राव अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, पीतमपुरा का बीएम अस्पताल औरर पूर्वी दिल्ली का लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल।


उधर, मुंबई में परेल स्थित कस्तूरबा अस्पताल, घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल, बोरीवली के भगवती अस्पताल, मुलुंड स्थित एमटी अग्रवाल अस्पताल, बांद्रा के भाभा अस्पताल, गोरेगांव के सिद्धार्थ अस्पताल में जांच करवाने मरीज़ जा सकते हैं।


Source : NDTV India

इस्लाम और एक से अधिक शादी

अब्दुल वाहिद आज़ाद,
बीबीसी हिंदी डॉट कॉम

इस्लाम में एक से अधिक शादी करने के मामले में विधि आयोग की ताज़ा रिपोर्ट की उलेमा ने कठोर आलोचना की है और इसे इस्लामी शिक्षा और शरीयत के विरुद्ध क़रार दिया है.
ग़ौरतलब है कि विधि आयोग ने विधि मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूसरी शादी करना ' इस्लाम के सच्चे क़ानून की आत्मा के ख़िलाफ़ है. साथ ही जो ये आम समझ है कि भारत में मुसलमानों का क़ानून उन्हें चार पत्नियाँ रखने की इजाज़त देता है, ग़लत है. '
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कई मुस्लिम देशों जैसे तुर्की और ट्यूनीशिया, जहाँ बहुपत्नीत्व पर प्रतिबंध है ,वहीं मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, इराक़, यमन, मोरोक्को, पाकिस्तान और बांगलादेश में दूसरी शादी प्रशासन या अदालत के अधीन है.
विधि आयोग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत में इस्लामी शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र दारुल उलूम देवबंद के उपकुलपति मौलाना ख़ालिद मद्रासी का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट मिथ्या पर आधारित है जो ग़लत और मज़हब में दख़ल के बराबर है.
उनका कहना है, " हम केवल भारतीय संविधान के अधीन हैं और संविधान अपने-अपने धर्म को मानने की आज़ादी देता है. एक से अधिक शादी करना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है और हम आयोग की रिपोर्ट की निंदा करते हैं. "
हालाँकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला सदस्या हसीना हाशीया विधि आयोग की राय को सही मानती हैं. उनका कहना है कि आयोग की बात इस्लामी शिक्षा के अनुरुप है.
वे कहती हैं, " इस्लाम में कुछ ऐसी विशेष स्थितियों में ही एक से अधिक शादी करने की इजाज़त दी गई है जैसे विधवा की संख्या काफ़ी बढ़ गई हो और इससे समाज में बुराई फैलने का डर हो. "
हाशीया कहती हैं कि भारत में दूसरी शादी करने के मामले प्रशासन के अधीन होने चाहिए. जैसे कई मुस्लिम देशों में हैं, लेकिन पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं होना चाहिए, क्योंकि वो भी इस्लमी शिक्षा के विरुद्ध है.
मामले की गहराई पर बात करते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इस्लामिक स्टडीज़ विभाग के प्रोफ़ेसर जुनैद हारिस कहते हैं कि इस्लाम में एक से अधिक शादी की इजाज़त ज़रूर दी गई है लेकिन न इसे आवश्यक बनाया गया है और न ही इसे बढ़ावा देने की बात कही गई है, बल्कि इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं.
उनका कहना है, " इस्लाम में एक से अधिक शादी की इजाज़त उसे दी गई है जो अपने बीवियों के बीच इंसाफ़ और उनके अधिकार को पूरा कर सकता है लेकिन इस्लाम इस बात की इजाज़त नहीं देता कि जो चाहे इस सुविधा का ग़लत इस्तेमाल करे. "
जुनैद हारिस स्वीकार करते हैं कि भारत में एक से अधिक शादी करने वाले अधिकतर लोग इस्लाम के सच्चे क़ानून की आत्मा का पालन नहीं करते हैं और कुछ तो अपने पहली पत्नी और उससे पैदा होने वाले बच्चों को भी छोड़ देते हैं जो इस्लाम के विरुद्ध है.
लेकिन कुछ उलेमा न सिर्फ़ विधि आयोग की रिपोर्ट से नाराज़ है बल्कि इसे शरीयत की ग़लत व्याख्या भी क़रार दे रहे हैं.
धार्मिक संगठन जमीअत उलेमा हिंद के सचिव मौलाना हमीद नोमानी ने विधि आयोग की रिपोर्ट पर सख़्त आपत्ति जताते हुए कहा कि ' आयोग को इस बात का अधिकार नहीं हैं कि वो शरीयत की ग़लत व्याख्या करे. '
मैंने यही सवाल समाजशास्त्री इम्तियाज़ अहमद से पूछा कि क्या ये ‘ शरीयत की ग़लत व्याख्या है ’ तो उनका कहना था, “ शरीयत की व्याख्याएं बदलती रहती हैं और एक से अधिक शादी करने की खुली छूट न क़ुरान में है न हदीस में है. ”
तो ऐसी क्या वजह है कि उलेमा बिरादरी आयोग की रिपोर्ट को मज़हब में दख़ल मान रहे हैं , तो इम्तियाज़ कहते हैं, " उलेमा को ऐसे किसी मामले में फेरबदल शरीयत में छेड़छाड़ लगता है क्योंकि वो इसे पहचान का मामला समझ लेते हैं, जबकि पहचान चार शादी करने से नहीं बल्कि अच्छे काम करने से होती है. "
मुसलमानों के एक से अधिक शादी का मामला विवादित रहा है लेकिन भारत सरकार के एक अध्ययन के अनुसार सच्चाई यह है कि इन सबके बावजूद भारतीय मुसलमान देश की दूसरी धार्मिक बिरादरियों से पीछे हैं।
source: बीबीसी Hindi