Friday, April 17, 2009

फिर कब आएंगे



चिट्टी पत्री ख़तो किताबत के मौसम


फिर कब आएंगे?


रब्बा जाने,


सही इबादत के कब मौसम


फिर कब आएंगे?


चेहरे झुलस गये क़ौमों के लू लपटों में


गंध चिरायंध की आती छपती रपटों में


युद्धक्षेत्र से क्या कम है यह मुल्क हमारा


इससे बदतर


किसी कयामत के मौसम


फिर कब आएंगे?


हवालात सी रातें दिन कारागारों से


रक्षक घिरे हुए चोरों से बटमारों से


बंद पड़ी इजलास


ज़मानत के मौसम


फिर कब आएंगे?


ब्याह सगाई बिछोह मिलन के अवसर चूके


फसलें चरे जा रहे पशु हम मात्र बिजूके


लगा अंगूठा कटवा बैठे नाम खेत से


जीने से भी बड़ी


शहादत के मौसम


फिर कब आएंगे?


-- नईम


सौजन्य :http://www.anubhuti-hindi.org/