नक्शब खान
अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से जुड़ी एक राज की बात अब यहां हर जुबान पर सुनी जा सकती है कि एएमयू में एक ‘खुफिया शाखा’ है जो छात्रों और शिक्षकों के हर कदम पर पैनी नजर रखती है। यद्यपि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसी किसी भी इकाई के संचालन की बात खारिज करता है।
एएमयू प्रशासन इतना जरूर स्वीकार करता है, "विश्वविद्यालय में आने वाले बाहरी और असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाती है।"
वैसे हाल के कुछ घटनाओं की वजह से ‘स्थानीय खुफिया इकाई’ (एलआईयू) एक फिर खबरों में आ गयी है। पिछले दिनों विश्विद्यालय के कथित समलैंगिक शिक्षक श्रीनिवास रामाचंद्रा से जुड़ी घटना के बाद एलआईयू फिर से चर्चा में आ गया। कुछ लोगों ने इस शिक्षक के घर में कैमरा लगा दिया और फिर उनकी एक फिल्म बना दी। कुछ दिनों बाद ही यह शिक्षक अपने घर में मृत पाए गए।
दर्शनशास्त्र विभाग के शिक्षक तारिक इस्लाम का कहना है, "एक शैक्षणिक संस्थान में इस तरह की खुफिया एजेंसी का संचालन करने का तर्क मैं नहीं समझ पाता। सरकार को छोड़ किसी दूसरे संस्थान को दूसरों की जासूसी करने का हक नहीं है।"
इस मामले पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया, "विश्वविद्यालय में कानून एवं व्यवस्था में बरकरार रखने के लिए कुलपति के पास किसी भी समिति या एजेंसी को गठित करने का अधिकार है। अगर संबंधित एजेंसी का किसी तरह से दुरुपयोग होता है तो इसके लिए कुलपति जरूर जिम्मेदार होगा।"
हाल ही में एम.फिल के एक छात्र अफाक अहमद को निलंबित कर दिया गया। उस पर कुलपति पी.के. अब्दुल अजीज को धमकी भरा पत्र भेजने का आरोप था। इस मामले में भी आरोप इसी खुफिया शाखा पर लगे हैं। इस छात्र का आरोप है कि खुफिया शाखा के लोगों ने कुलपति को भजे जाने वाले पत्र पर छात्रावास में उसके जबरन हस्ताक्षर लिए।
खुफिया शाखा से जुड़े सवाल पर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर जुबैर खान ने कहा, "हमारे यहां निगरानी करने वाली एक एजेंसी है जो बाहरी और असामाजिक तत्वों पर नजर रखती है।"
एएमयू प्रशासन भले ही कुछ दावा कर रहा हो लेकिन सूचना के अधिकार के तहत दायर एक याचिका के जवाब में खुद उसने (विश्वविद्यालय) ने एलआईयू की मौजूदगी की बात कबूल की है।
Monday, May 3, 2010
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