Tuesday, May 25, 2010

एक प्रेम कहानी ऐसी भी..

कहते हैं कि प्यार सभी बंधनों और सीमाओं से परे है। कनाडा में शुरू हुई एक प्रेम कहानी के सुखद अंत ने एक बार फिर इसे सही साबित किया है। इस प्रेम कहानी में इंटरनेट का किरदार बेहद अहम रहा।
यह कहानी कनाडाई मूल की मुस्लिम युवती नाजिया काजी और भारतीय मूल के युवक बिजोर्न सिंहल की है। इन दोनों के प्यार की सुखद परणिति से पहले तमाम ऐसी रुकावटें और दिक्कते आईं जो अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों में देखने को मिलती हैं।
नाजिया और बिजोर्न के बीच कनाडा में पढ़ाई के दौरान प्यार परवान चढ़ा लेकिन जल्द ही इनके प्यार को मानो किसी की नजर लग गई। नाजिया के वालिद काजी मलिक अब्दुल गफ्फार अपनी बेटी के प्यार के रास्ते में आ गए और उसे पूरे तीन साल तक घर में 'बंधक' बनाकर रखा।
गफ्फार सऊदी अरब में कार्यरत हैं इसलिए वहां के कानून की मदद से भी वह अपनी बेटी पर बंदिश लगाने में कामयाब रहे। परंतु नाजिया ने इंटरनेट के जरिए अपनी मदद की गुहार लगाई और कनाडा में उसके दोस्तो ने भी उसके समर्थन में अभियान छेड़ दिया।
नाजिया के जज्बे और दोस्तों के साथ से उसकी दिक्कतों को मीडिया ने प्रमुखता दी और देखते ही देखते यह प्रेम कहानी कनाडा और सऊदी अरब के अखबारों में छा गई। इसके बाद मानवाधिकार संगठन भी उसके समर्थन में आगे आए।
बिजोर्न और नाजिया की सबसे बड़ी जीत उस समय हुई जब इस साल के शुरुआत में दोनों परिवार शादी के लिए राजी हो गए और पिछले सप्ताह यह प्रेमी जोड़ा दुबई में विवाह के पवित्र बंधन में बंध गया।
शादी के बाद 24 साल की नाजिया ने कहा, "अब मैं अपने पिता को माफ कर चुकी हूं। वह मुझे खुश देखना चाहते हैं। मेरे माता-पिता मुझे घर बसाते देखना चाहते थे। आज सभी खुश हैं।"
उधर, 29 साल के बिजोर्न का कहना है कि अब वह अपने ससुर के साथ सुलह करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नाजिया से शादी करने के बाद उन्हें बहुत राहत मिली है।

सौ IANS

Monday, May 3, 2010

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में खुफिया शाखा!

नक्शब खान
अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से जुड़ी एक राज की बात अब यहां हर जुबान पर सुनी जा सकती है कि एएमयू में एक ‘खुफिया शाखा’ है जो छात्रों और शिक्षकों के हर कदम पर पैनी नजर रखती है। यद्यपि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसी किसी भी इकाई के संचालन की बात खारिज करता है।
एएमयू प्रशासन इतना जरूर स्वीकार करता है, "विश्वविद्यालय में आने वाले बाहरी और असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाती है।"
वैसे हाल के कुछ घटनाओं की वजह से ‘स्थानीय खुफिया इकाई’ (एलआईयू) एक फिर खबरों में आ गयी है। पिछले दिनों विश्विद्यालय के कथित समलैंगिक शिक्षक श्रीनिवास रामाचंद्रा से जुड़ी घटना के बाद एलआईयू फिर से चर्चा में आ गया। कुछ लोगों ने इस शिक्षक के घर में कैमरा लगा दिया और फिर उनकी एक फिल्म बना दी। कुछ दिनों बाद ही यह शिक्षक अपने घर में मृत पाए गए।
दर्शनशास्त्र विभाग के शिक्षक तारिक इस्लाम का कहना है, "एक शैक्षणिक संस्थान में इस तरह की खुफिया एजेंसी का संचालन करने का तर्क मैं नहीं समझ पाता। सरकार को छोड़ किसी दूसरे संस्थान को दूसरों की जासूसी करने का हक नहीं है।"
इस मामले पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया, "विश्वविद्यालय में कानून एवं व्यवस्था में बरकरार रखने के लिए कुलपति के पास किसी भी समिति या एजेंसी को गठित करने का अधिकार है। अगर संबंधित एजेंसी का किसी तरह से दुरुपयोग होता है तो इसके लिए कुलपति जरूर जिम्मेदार होगा।"
हाल ही में एम.फिल के एक छात्र अफाक अहमद को निलंबित कर दिया गया। उस पर कुलपति पी.के. अब्दुल अजीज को धमकी भरा पत्र भेजने का आरोप था। इस मामले में भी आरोप इसी खुफिया शाखा पर लगे हैं। इस छात्र का आरोप है कि खुफिया शाखा के लोगों ने कुलपति को भजे जाने वाले पत्र पर छात्रावास में उसके जबरन हस्ताक्षर लिए।
खुफिया शाखा से जुड़े सवाल पर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर जुबैर खान ने कहा, "हमारे यहां निगरानी करने वाली एक एजेंसी है जो बाहरी और असामाजिक तत्वों पर नजर रखती है।"
एएमयू प्रशासन भले ही कुछ दावा कर रहा हो लेकिन सूचना के अधिकार के तहत दायर एक याचिका के जवाब में खुद उसने (विश्वविद्यालय) ने एलआईयू की मौजूदगी की बात कबूल की है।

Sunday, May 2, 2010

निरुपमा को न्याय चाहिए

निरुपमा के लिए न्याय पिटीशन पर दस्तखत करें। निरुपमा की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि वह अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी। वर्णव्यवस्था के पुजारियों ने इस अपराध के लिए उसे मौत की सजा दे डाली। पिटीशन पर क्लिक करें।