पूर्व केंद्रीय मंत्री और बदायूं लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सलीम इकबाल शेरवानी से कुबूल अहमद की हुई बातचीत के अंश-
इस बार के आम चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान किस ओर है।
इस बार के आम चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान किस ओर है।
मेरे हिसाब से देश में एकमात्र धर्मनिरपेक्ष राष्टीय पार्टी कांग्रेस है। इसके लिए मुस्लिम मतदाता मतदान करेंगे। कांग्रेस के ही पक्ष में मतदान करने के लिए मैं मुसलमानों को एकजुट करुंगा।
किन मुददों पर मुस्लिम मतदाताओं मतदान करेगा।
मुसलमानों के सामने सबसे बड़े मसले बेरोजगारी ओर सुरक्षा है। इस बार मुस्लिम मतदाता इन्हीं दो मुददों पर केंद्रित रहेंगे और अपना मत भी डालेंगे। मैं कांग्रेस में होने के नाते मैं अपनी पार्टी में इन दोनों मुददों को रखूंगा और इसके लिए काम करुंगा।
इस बार के चुनाव में कई मुस्लिम जमातें मैदान में हैं। इस पर आपकी राय क्या है।
इन जमातों के सामने आने की कुछ वजहें हैं। जब इन लोगों की बातें नहीं सुनी गई तो ये लोग ख्ुाद लामबंद हुए और अपनी जमता के सामने आए। कहने का मतलब कि ये पार्टियां बेवजह नहीं है। मिसाल के तौर पर बटला हाउस मुठभेड़ के बाद जब आजमगढ़ के लोगो की बात नहीं सुनी गई तो उलमे काउंसिल का गठन हो गया। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां सभी के मसलों को सुनना और सुलझाया जाना चाहिए।
इन मुस्लिम जमातों का सियासी असर क्या होगा।
अगर मुस्लिम जमातें आती हैं तो निश्चित तौर पर मुस्लिम मतों को धु्रवीकरण होगा। इसका फायदा दूसरे दल उठाएंगे। इससे मुसलमानों को फायदा नहीं हाने वाला।
आपने सपा क्यों छोड़ी।
मै यह बात साफ कर दूं कि सपा को मैंने नही बल्कि सपा ने मुझे छोडा है। जब मुझे यह न्यूज चैनलों और समाचार पत्रों से खबर मिली कि मेरा टिकट कट गया तो मैं अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों से राय लेने के बाद कांग्रेस में शामिल हुआ। कांग्रेस मेरा पुराना घर है।
कल्याण और मुलायम की दोस्ती का क्या असर होगा।
देश में मुसलमानों के अंदर बाबरी मस्जिद का दर्द हमेशा रहेगा और कल्याण को देखने के बाद वह दर्द ताजा हो उठेगा। कल्याण सिंह के सपा के साथ आ जाने से मुलायम को मुस्लिम मतों के नजरिए से भारी नुकसान होने वाला है।
किन मुददों पर मुस्लिम मतदाताओं मतदान करेगा।
मुसलमानों के सामने सबसे बड़े मसले बेरोजगारी ओर सुरक्षा है। इस बार मुस्लिम मतदाता इन्हीं दो मुददों पर केंद्रित रहेंगे और अपना मत भी डालेंगे। मैं कांग्रेस में होने के नाते मैं अपनी पार्टी में इन दोनों मुददों को रखूंगा और इसके लिए काम करुंगा।
इस बार के चुनाव में कई मुस्लिम जमातें मैदान में हैं। इस पर आपकी राय क्या है।
इन जमातों के सामने आने की कुछ वजहें हैं। जब इन लोगों की बातें नहीं सुनी गई तो ये लोग ख्ुाद लामबंद हुए और अपनी जमता के सामने आए। कहने का मतलब कि ये पार्टियां बेवजह नहीं है। मिसाल के तौर पर बटला हाउस मुठभेड़ के बाद जब आजमगढ़ के लोगो की बात नहीं सुनी गई तो उलमे काउंसिल का गठन हो गया। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां सभी के मसलों को सुनना और सुलझाया जाना चाहिए।
इन मुस्लिम जमातों का सियासी असर क्या होगा।
अगर मुस्लिम जमातें आती हैं तो निश्चित तौर पर मुस्लिम मतों को धु्रवीकरण होगा। इसका फायदा दूसरे दल उठाएंगे। इससे मुसलमानों को फायदा नहीं हाने वाला।
आपने सपा क्यों छोड़ी।
मै यह बात साफ कर दूं कि सपा को मैंने नही बल्कि सपा ने मुझे छोडा है। जब मुझे यह न्यूज चैनलों और समाचार पत्रों से खबर मिली कि मेरा टिकट कट गया तो मैं अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों से राय लेने के बाद कांग्रेस में शामिल हुआ। कांग्रेस मेरा पुराना घर है।
कल्याण और मुलायम की दोस्ती का क्या असर होगा।
देश में मुसलमानों के अंदर बाबरी मस्जिद का दर्द हमेशा रहेगा और कल्याण को देखने के बाद वह दर्द ताजा हो उठेगा। कल्याण सिंह के सपा के साथ आ जाने से मुलायम को मुस्लिम मतों के नजरिए से भारी नुकसान होने वाला है।
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