
मिस्र के शहर शर्म-अल-शेख में हमारे प्रधानमंत्री जी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से जिस गर्मजोशी से हाथ मिलाया, उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मनमोहन सिंह जी और उनकी सरकार २६/११ की जघन्य घटना को भूल गए?
याद रहे कि चुनाव से पहले हमारी सरकार बार-बार यही कहती रही कि जब तक हमारा पड़ोसी देश आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर देता तब तक हम उसके साथ कोई बातचीत नहीं करेंगे। परंतु पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उस हाफिज सईद को रिहा कर दिया गया जिसने मुंबई पर हमले की नापाक साजिश रची थी। ऐसे में हम उस पाकिस्तान को फिर से अपने गले में लपेटने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी फितरत ही डसना है।
सवाल यह है कि रूस में मनमोहन ने जिस दिलेरी का परिचय दिया था वह क्या महज एक दिखावा था या हमारे प्रधानमंत्री जी सियासी साहसी होने का अ·यास कर रहे थे। शर्म-अल-शेख में में मनमोहन सिंह ने संयुक्त बयान में उस चीज पर हामी भर दी जिसको लेकर हमने पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया था।
मुंबई हमले के बाद बुरी तरह घिरा पाकिस्तान अब इतरा रहा है। वह शर्म-अल-शेख में हमारे प्रधानमंत्री और हमारी सरकार को पटकनी देने का जश्न मना रहा है। उसको ऐसा करना भी चाहिए क्योंकि बिना कुछ किए ही हमारी सरकार ने उसको माफ जो कर दिया। परंतु मुंबई हमले के गवाह बने करोड़ो भारतीय उन पाकिस्तानों दरिंदों को कभी माफ नहीं करेंगे जिन्होंने इस नापाक हरकत को अंजाम दिया था। शायद हमारे प्रधानमंत्री जी को फिर से मंथन करना चाहिए।